Thursday, September 27, 2018

थोडासा रूमानी

थोडासा रूमानी हो जाये 
चांदनी में भीगकर 
रात सुहानी हो जाए 

ये रुत और ये मौसम 
हमको देके इशारे बुलाये 
कबसे बैठे हो तुम 
अपनी आखों में मुझको समाये 
आखें कबतक बातें करेगी 
कुछ तो जुबानी हो जाए 

सच है कबसे बैठा हु मैं 
कितनी बातें दिल में छुपाये 
डर हैं जब भी कह दु 
अनहोनिसि न हो जाए 
कहने सुनने की क्या जरुरत 
जो है रूहानी हो जाए 


असा मी असा मी

प्रत्येक माणसाचा एक मूळ जात्या स्वभाव असतो. पिंड म्हणा हवे तर. काही नैसर्गिक वृत्ती (introvert, extrovert, personality types वगैरे) तर काही ...