This twilight moment at home was worth a click and inspiring
दिवानखाने का एक कोना है,
मेरा दोस्त, हमदर्द और साथी
सुबह की ताजा गरम चाय
या शाम के बर्फीले प्याले
इसिके साथ चंद लम्हे दूर
होते है जिंदगी के झमेले
ना कभी कुछ केहता हैं
बस इशारे देता रेहता है
सुबह की किरन ओढे या
शाम के साये में लिपटे
कभी साथ रेहके भी होता हुं
मशगुल टिव्ही, किताबों में
पर शिकवे गिले होते नहीं
बस एक समझौता है हममें
घरमें चाहें लोग हो कितने
घर चाहें बडा हो कितना
हर किसिको चाहिए होता
बस अपना एक कोना
सुरेश नायर
५/१०/२०२५