Thursday, November 16, 2023

पतझड



पत्ते तो कबके झड चुके
पतझड का मौसम जो हैं

टेहनी पे लिपटी बेरीया
बस वोभी अब जाने को हैं

रंगों को समेट लो आखों मे 
जाडों का रुखापन आने को हैं

No comments:

Post a Comment

ये पावसा

ये पावसा मेघांचा रथ करुनी भेटून जा तू आनंदे बरसोनी  संकेत देई माती मृदगंध शिंपडूनी  वाराही गाई गाणी येणार तू म्हणोनी सृष्टीच आहे सारी तुजसाठ...