पत्ते तो कबके झड चुके
पतझड का मौसम जो हैं
पतझड का मौसम जो हैं
टेहनी पे लिपटी बेरीया
बस वोभी अब जाने को हैं
रंगों को समेट लो आखों मे
जाडों का रुखापन आने को हैं
अंगणात पारिजातकाचा सडा पडे, कधी फुले वेचायला येशील इकडे (When will you come, to pick the flowers from my garden)
एक फांदीवर चार पक्षी एवढ्या visual वर सुचलेली एक कविता. कधी कधी कविता आपसूक स्वतःचे एक वळण घेते, आपला तसा हेतू नसला तरी.. एक फांदी चार पक्षी...
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