प्रीतम मोहे, तेरे बिना, जिया न लागे
आ मिल जा
क्यु मोसे झूठी आस बँधायी
प्रेम का क्यु मनमे दीप जलाया
आ मिल जा
अंगणात पारिजातकाचा सडा पडे, कधी फुले वेचायला येशील इकडे (When will you come, to pick the flowers from my garden)
This twilight moment at home was worth a click and inspiring दिवानखाने का एक कोना है, मेरा दोस्त, हमदर्द और साथी सुबह की ताजा गरम चाय या शा...
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